Sunday, 23 June 2013

खामोशी

अजब सी है ये खामोशी,
हर सैलाब, हर तूफान,
हर शोर पर छाई है यह खामोशी

खामोशी..जो कहती है बहुत कुछ,
कभी चिलाती हैं तो कभी
सहमे अल्फासों में कुछ जाती हैं
खामोशी..बयान करती हैं बहुत कुछ,
गीले जो हैं खुदी से,
फ़ासले जो अब हैं ज़िंदगी से
खामोशी...सीखा जाती हैं बहुत कुछ,
गिरकर संभालने की हिम्मत देती हैं,
हर घड़ी आगे चलने की ताकत देती हैं
 
बड़ी अजब सी है यह खामोशी,
हर शोर पर छाई है ये खामोशी

No comments:

Post a Comment